Monday, July 12, 2010





आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अँधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही

हो, गुनगुनाती रहीं मेरी तन्हाइयां
दूर बजती रहीं कितनी शहनाइयां
आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...

कतरा कतरा पिघलता रहा आसमान -2
रूह की वादियों में न जाने कहाँ
इक नदी.. इक नदी दिलरुबा गीत गाती रही

आप यूँ  फासलों  से  गुज़रते  रहे 
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...


आप की गर्म बाहों में खो जायेंगे
आप की नर्म जानों पे सो जायेंगे, सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदें चुराती रही

आप यूँ  फासलों  से  गुज़रते  रहे 
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...

a song from a very old movie sung by lata ji.

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