आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अँधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही
हो, गुनगुनाती रहीं मेरी तन्हाइयां
दूर बजती रहीं कितनी शहनाइयां
आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...
कतरा कतरा पिघलता रहा आसमान -2
रूह की वादियों में न जाने कहाँ
इक नदी.. इक नदी दिलरुबा गीत गाती रही
आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अँधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही
हो, गुनगुनाती रहीं मेरी तन्हाइयां
दूर बजती रहीं कितनी शहनाइयां
आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...
कतरा कतरा पिघलता रहा आसमान -2
रूह की वादियों में न जाने कहाँ
इक नदी.. इक नदी दिलरुबा गीत गाती रही
आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...
आप की गर्म बाहों में खो जायेंगे
आप की नर्म जानों पे सो जायेंगे, सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदें चुराती रही
आप की गर्म बाहों में खो जायेंगे
आप की नर्म जानों पे सो जायेंगे, सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदें चुराती रही
आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...
दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ ...